*गाँव की रौनक थी तुम, अब सब कुछ सूना है*
तुम्हारे आने से गाँव में रौनक छा जाती थी,
आज तुम्हारे न आने से पूरा गाँव रोया है।
गाँव ने खो दिए हीरे जैसे अपने बेटे,
हम दोस्तों ने अपनी टीम का मालिक खोया है।
यक़ीन ही नहीं होता तुम चले गए—लगता है सपना है अभी,
सोचता हूँ उठूँ, चाय पीऊँ, बाहर निकलूँ… डॉक्टर की दुकान पर तुम मिल जाओगे अभी।
जैसे ही मुझे आते देख तुम हल्का सा कमेंट पास करते,
सब अंदर‑ही‑अंदर हँसते, और मेरी ज़्यादा पड़ताल पर सच बता देते।
डॉक्टर की दुकान पर बिताए वो पल,
केदारनाथ यात्रा की थकान में भी की गई मस्ती के साथ बाते ,
गुढ़ा समोसे की दुकान की यादें, पकड़ने वाली गाड़ी का माहौल ,
गोविन्द की शादी,गोदेरा टी स्टॉल की चाय और सांवरिया ढाबे पे बितायी राते,
गुंजन होटल, अन्नपूर्णा होटल, बी.एस. का मनाया बर्थडे,
खेतू के ढाबे की प्लेटें, दिवाली पर तुम्हारे घर का खाना,
वो दिवाली की रात… वो तुम्हारे साथ होली के रंग,
तुम्हारे हाथों का अंदाज़, बात करने का वो अपना ढंग, और सुबह उठते ही ठाकुर जी मंदिर आना ,
तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा याद आ रहा है यार
और सिर्फ़ मैं ही नहीं—जिसे भी ज़िंदगी में तुमसे ज़रा सा मिलना हुआ होगा,
वो भी तुम्हें याद कर रहा होगा…
क्योंकि यार, तुम थे ही—हीरे।
Rest in peace all divine souls
ReplyDeletebhai 😔😔😔
ReplyDelete