*Hindi*
कोई कमाने तो कोई मिलने निकला था ,
कोई घर के लिए तो कोई घर से निकला था ,
किसी को क्या पता कब मौत आ जाये ,
कोन भला घर से मरने निकला था ll
Hook / Context:
“Ahmedabad में हुए plane crash की खबर सुनते ही दिल जैसे थम सा गया। उस हादसे की गंभीरता और खोए लोगों की यादें मन को गहरे तक झंझोझोर देती हैं।”
Personal Connection:
“मैंने यह शायरी Ahmedabad plane crash से inspired होकर लिखी—खुद उस दिन वहाँ नहीं था, और मेरा परिवार भी उस “plan” में शामिल नहीं था। पर इस हादसे ने जो collective grief और असमय मौत की संवेदना जगाई, उसे शब्दों में बांधना ज़रूरी लगा। इसलिए मैंने वही पंक्तियाँ लिखीं:
“कोई कमाने तो कोई मिलने निकला था,
कोई घर के लिए तो कोई घर से निकला था…”
यह व्यक्तिगत अनुभव नहीं है, पर यह हम सभी के लिए एक wake-up call है—कि जीवन कितना अनिश्चित है, और एक पल में कितनी भावनाएँ बदल सकती हैं।”
Agitate & Promise:
“यहाँ आप पढ़ेंगे—इस शायरी की भावनात्मक व्याख्या, context, relatable situations, और उस दिन की यादें जो शायद शब्द कह नहीं पाते।”
Explanation: इस शायरी में Ahmedabad plane crash की वह स्थिति असामयिक और अनपेक्षित मौत की त्रासदी बयाँ होती है। हर शख्स किसी उद्देश्य से बाहर निकला था—खुशी, काम, मिलने—पर वक्त ने करवट बदल दी।
Conclusion:
“यह शायरी सिर्फ़ अलफ़ाज़ नहीं, वह अनुभव है—Ahmedabad में plane crash की悲惨ता का एक छोटा सा मुक़ाम। यह याद दिलाती है कि जीवन कितना अस्थिर है, और हर पल की अहमियत को हमें नहीं भूलना चाहिए।”
CTA:
“यदि यह Shayari आपके दिल को छू गयी, तो कृपया इसे शेयर करें। और comment में बताएं—आप इस शायरी से क्या महसूस करते हैं? आपकी favourite लाइन कौन‑सी है?”
Wah saa
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